Wednesday, December 17, 2025

गौमाता का चारा खा लिया। सड़क बनी नहीं पैसा ले लिया। सोलर प्लांट लगा नहीं भुगतान हो गया। 1500 सफ़ाई कर्मी सिर्फ़ कागज़ों में दिखाया। लोढ़ा समूह ने किसानों की ज़मीन 5 लाख रू बिस्वा लेकर 1 करोड़ 77 लाख में बेची। www.navjivanfoundation.org


 

60 बार ऑपरेशन ‘सिंदूर’ को रोके जाने का श्रेय डोनाल्ड ट्रंप को मिला, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री ने इस पर एक शब्द भी नहीं बोला। विदेश मंत्रालय की खामोशी और भी परेशान करने वाली है। www.navjivanfoundation.org


 

संजीव भट को मोदी जेल में क्यू सडा रहा है? www.navjivanfoundation.org


 

Modi Saha Reality on Civil aviation www.navjivanfoundation.org


 

मोदी जी ने आपकी गाढ़ी कमाई का पैसा 33 हजार करोड़ रुपए अपने दोस्त अडानी को दे दिया। अब LIC का नारा जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी नहीं रहा बल्कि अडानी के साथ है अडानी के साथ रहेंगे हो गया है। www.navjivanfoundation.org


 

देवी प्रचण्डचण्डिका छिन्नमस्ता : सबसे रौद्र रूप देवी आद्यशक्ति महामाया एक बार प्रजापति दक्ष ने शिवहीन यज्ञ का आयोजन किया था। दक्ष ने शिव को अपने यज्ञानुस्तान में नहीं बुलाया, ध्याननी का हुआ अपमान बिना बुलाए यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी और शिव से बार-बार निवेदन किया। पर शिव जी सहमत नहीं थे तब दक्षायनी ने दस रूपों को धारण कर भगवान शिव को दस दिशाओं से घेर लिया। वे दस रूप प्रसिद्ध है "दश महाविद्या" छिन्नमस्ता शिव के पश्चिम दिशा में दायीं ओर स्थित था। देवी के इस भयंकर रूप को देख महादेव डर गए और उन्हें यज्ञ में जाने दिया। पवित्र स्थान में तितली देवी का अपमान किया। तब देवी ने अपना स्वभाव व्यक्त किया और बलिदान में आत्महत्या कर ली। जब महादेव देवी के जले शरीर से कहर ढा रहे थे, तब विष्णु के चक्र से देवी के चरण काटकर पुरुषोत्तम क्षेत्र में गिर गए। वह महाविद्यासुप आद्यशक्ति यहां देवी बिमला के रूप में विराजमान है। कहा जाता है कि एक बार मंदाकिनी नदी में स्नान करते समय पार्वती कमार्ता बन गई और खून से जल गई। इस बीच उसके दो साथी डाकिनी और बारनी भूखे थे। देवी ने दया से उनके नाखूनों से सिर काटकर खून से उनकी भूख मिटा दी। छिन्नमस्ता रक्तबर्ण, त्रिनयाना, नग्न और हेडबंदहारिणी। बाएं हाथ में अपना सिर, दाहिने हाथ में तलवार। उसके शरीर से खून की तीन धाराएं बह रही हैं—एक उसके मुख तक, दो डाकिनी और बारानी के मुख तक। देवी कर्म और रात का शरीर सजा, पीछे श्मशान भूमि। छिन्नमस्ता कुंडलिनी जागरण का प्रतीक है। संभोग मूल चक्र का प्रतीक है, जिससे कुंडलिनी सुसुम्न के मार्ग में उठती है और सहस्त्राब्दी को टकराती है—यह देवी के सिर के कट जाने का प्रतीक है। रक्त वृत्त की तीन धाराओं की ग्रंथियों को परखना तत्काल चेतना में वृद्धि की सूचना देता है। डाकिनी, बरनानी और देवी-इडा, पिंगला और सुसुमना नब्ज़ के प्रतीक हैं। खोपड़ी झूठे अहंकार और अज्ञान का उन्मूलन है, और जीवित कुंडलिनी जागृति और आत्म-जागरूकता का प्रतीक है। महानता आ रही है.... कला: मंगल्य घोष www.navjivanfoundation.org


 

Watch till the end www.navjivanfoundation.org