Monday, August 17, 2020
देश-दुनिया के विभिन्न धर्मों और परंपराओं अपने ईश या फिर कहें आराध्य की भक्ति में जप का अपना एक विशेष स्थान है। सनातन परंपरा में किसी भी देवता विशेष की पूजा के दौरान मंत्र जप का विशेष फल मिलता है। इस मंत्र जाप के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली माला का भी अपना विशेष महत्व होता है। एक ओर जहां प्रत्येक देवता के लिए अलग-अलग माला से जप का विधान है, वहीं दूसरी ओर इन मालाओं को धारण करने का भी अपना महात्मय है। कहने का तात्पर्य शैव, शाक्त एवं वैष्णव आदि परंपरा से जुड़ा साधक अराध्य देवी-देवता के अनुसार ही माला धारण करता है। आइए परम शक्ति की साधना के लिए उपयोग में लाई जाने वाली माला के महत्व के बारे में जानते हैं
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